हमारी जिंदगी

वो जो कहते थे कि वक़्त ही वक़्त हैं तुम्हारे लिए. आज कहते हैं कि तुम्हारे सिवा भी बहुत काम होते हैं. खुद को इतना मजबूत बनाओ कि जो लोग आपको खुद से दूर कर चुके हैं टाइम आने पर वो आपको देखने को तरश जाए. जो लोग दिल से सच्चे होते हैं जिंदगी उनका ही ज्यादातर इम्तेहान लेती हैं. अगर उदास हो तो अकेले मे रोया करो, क्युकी आज कल आँशु को पोंछने कोई नहीं आता हैं. इतना भी किसे के पीछे मत भागना कि पेरो से ज्यादा दिल ही थक जाए. तुम उसे छूलो और वो तुम्हे छुले इतना प्यार तो कोरोना वायरस के ही पास हैं. जब अंदर से दिल दुखता हैं और जुबान से कुछ नहीं निकल पाता तो आँखे ही सहारा होती हैं और तबही  ये बरसने लग जाती हैं जिसे निभाना कहते हैं ये बस कुछ ही लोगों को आता हैं. ये कहना तो बहुत ही आसान हैं कि मोहबत हैं मुझे, तुमसे किसी को प्यार करना बड़ी बात नहीं हैं. लेकिन किसी का प्यार पाना बहुत बड़ी बात हैं. कभी कभार इंसान इतना टूट जाता हैं कि उसका बात करना तो दूर जीने तक का मन नहीं करता हैं जमाना बिलकुल बदल गया हैं 


आज कल लोग मासूम लोगो को बेवकूफ समझते हैं. आज कल के ये लोग थोड़ा सा अपनापन दिखा कर बहुत दूर चले जाते हैं. किसी टूटे हुए मकान कि तरह हो गया हैं ये दिल कोई रहता ही नहीं ना कम्बख्त बिकता हैं. हर रात इंतजार किया उसके जवाब का,  लेकिन सुबह अहसास हुआ जवाब का ना आना ही जवाब हैं जो लोग वक़्त आने पर बदल जाते हैं. वो लोग कभी किसी के सगे नहीं हो सकते. वो लोग भी आज मुझे बदला हुआ सा कहते हैं जो खुद अब पहले जैसे नहीं रहे हैं.मुँह पर कुछ ओर.... और  पीठ के पीछे कुछ और ऐसे लोगो से हमेशा दुरी बना कर रखना क्यूकी ऐसे लोग कोरोना वायरस से भी खतरनाक होते हैं. ये जिंदगी आपकी हैं इसे अपने लिए जिओ और किसे ऐसे के लिए अपनी जिंदगी बर्बाद मत करो जिसे परवाह तक नहीं हैं. मेरे अपने मुझे रोता देख मुश्कुराते हैं अब,  गैरों से मे क्या उम्मीद रखूँ बात कड़वी हैं. 



मगर सच हैं लोग काम पड़ने पर रिस्ता बना लेते हैं. और जरुरत खत्म होने के बाद बने रिस्तो से मुँह मोङ लेते हैं. जिन्दगी के सफर मे जब जब मुश्किल मुकाम आया तब तब ना गैरों ने आवाज़ सुनी ना कोई अपना ही काम आया. जो लोग दुसरो को दर्द देते हैं वो ये क्यों नहीं सोचते दो आंखे उनके भी पास हैं. घमंडी नहीं हूँ साहब जहाँ दिल ना लगे वहां जबरदस्ती बात करने और घुसने कि आदत नहीं मेरी. जब मुँह पर बोलने कि आदत हो ना तो मुँह पर सुनने की भी आदत होनी चाहिए शब्दो का वजन तो किसी कि भावनाओं से पता चलता हैं वरना वेलकम तो पायदान पर भी लिखा होता हैं 






जिस रिश्ते मे बात बात पर सफाई देंनी पड़े और मतलब समझाना पड़े वो रिश्ते सुकून के नहीं बल्की बोझ बन जाते हैं. केसा जमाना आगया हैं आज काल अच्छा होना जरुरी नहीं अच्छा दिखाना जरुरी हो गया हैं. लोग ऊपर से ये कहते हैं कि सच्चा प्यार दिल देख कर होता हैं लेकिन अश्लियत यह हैं कि शोहरत और चेहरा देख कर ही प्यार कि शुरुआत करते हैं लोगो के बदल जाने को क्या कहु मैं यहाँ तो अपना हाल ही कुछ ऐसा हैं. अगर इस दुनिया मे खुश रहना हैं ना तो एक बात जान लिया हमने भी कि यहाँ रोने  गीड़ गीड़ने से कुछ नहीं मिलता किसी मोला पंडित कि बस की बात नहीं किसी रिश्ते को बनाना मजबुत बनाना बल्की उसे बरकरार रखना बहुत जरुरी होता हैं जहाँ प्रेम होता हैं जहाँ विश्वास होता हैं अपने जीवन साथी को उसको पाने का अलग एहसाहस होता हैं. 


Nitesh karn .....

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